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Guru kripa ki prarthna

 गुरु की आस में , गुरु  के ज्ञान से
गुरु  की आराधना से, गुरु के उपकार से 
जीवन का हर क्षण साधनामय हो

इसी विनती के साथ आज मैं इस लेखन का आरम्भ कर रही हूँ 

गुरु को समर्पित, गुरु की इच्छा ,
गुरु की वाणी , गुरु का ध्यान 


जय गुरुदेव , जय माँ , पारवती वल्लभा

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Gyan ki saat bhumika

ज्ञानकी सप्त भूमिकाएँ--   योगविद्या तत्वका सत्य ज्ञान प्राप्त करनेके लिये साधकको श्रीसद्गुरूका आश्रय लेना अनिवार्य है, क्योंकि वेदान्तशास्त्रके सिद्धान्तके सत्यरूपमें केवल सद्गुरु ही समझा सकते हैं, उनकी सहायताके बिना केवल मिथ्या भ्रान्तिमें पड़कर मनुष्य अवनतिको प्राप्त हो सकता है। इसी कारण दीर्घदर्शी तत्वज्ञानसम्पन्न शास्त्रकारोंने भी आज्ञा दी है। तद्विज्ञानार्थ स गुरुमेवाभिगच्छेत्।  अर्थात् शम दमादिसम्पन्न गुरुके समीप जाना चाहिये। शास्त्रका ज्ञान होनेपर भी ब्रह्मज्ञानकी मनमानी खोज नहीं करनी चाहिये। लौकिक विद्याकी सिद्धीके लिये भी जब गुरुकी आवस्यकता पड़ती है, तब ब्रह्मविद्याकी सिद्धीके लिये तो सद्गुरुकी निरतिशय आवस्यकता है, यह सुस्पष्ट है। क्योंकि जिसको जिस वस्तुका अधिकार प्राप्त होता है, उसीके लिये वह प्राप्त हुआ पदार्थ हितकारक होता है। अनधिकारी वेदान्तके मार्मिक रहस्यपूर्ण हेतुको नहीं समझ सकता, इसलिये ब्रह्मज्ञानकी प्राप्तिके लिये सद्गुरुकी आवस्यकता हमारे सारे शास्त्र मुक्तकण्ठसे स्वीकार करते हैं। ज्ञानकी सप्त भूमिकाएँ इस प्रकार है। (1) शुभेच्छा (2) विचारणा (3) तनुमानसा (4) सत्वाप

Practice part 3

भाग-3          मानव तन विज्ञान                 (  प्रेक्टीश )                    --गगनगीरीजी महाराज         जैसे हमने दुसरे भाग मे स्थूळ जगत की सिध्धिओ के बारे मे बात किया ये है प्रेक्टीश की थियरी सुक्ष्म जगत के लिए स्थायी है. स्थूळ जगत की सारी सिध्धियां ये कौनसे तरीके से हांसल होती है ये बात का दुसरे भाग मे चर्चा किया है तो अब ये तिसरे भाग मे सुक्ष्म जगत की सिध्धियां और अनुभव कैसे हांसल होता है ये बात हम करेंगे.                  जैसे स्थूळ जगत की सिध्धियां हांसल होती हैं वो ही तरीके से सुक्ष्म जगत की सिध्धियां हांसल होती है दोनो जगत मे तरीका एक ही है लेकिन सुक्ष्म जगत के लिए प्रेक्टीश का समय थोडा लंबा है और स्थूळ जगत की सिध्धियां के लिए प्रेक्टीश का समय पिरियड टुंका है ईतना तफावत है. आध्यात्मिक क्षेत्र के लिए परमात्मा तक पहुंचने के लिए परमात्मा का अनुभव करने के लिए योगक्रिया करनी पडती है. योगक्रिया मे तीन चीज को प्रेक्टीश के द्वारा आंतरिक मन की मेमरी मे मेमरी फीट करनी पडती है. (1):- आसन सिध्धि, (2):-दिर्घ प्राणायाम, (3):- आंतरिक नजर स्थिर करके ध्यान करना ये तीन चीजे जो भी मा