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Practice part 3

भाग-3
         मानव तन विज्ञान
                (  प्रेक्टीश )
                   --गगनगीरीजी महाराज


        जैसे हमने दुसरे भाग मे स्थूळ जगत की सिध्धिओ के बारे मे बात किया ये है प्रेक्टीश की थियरी सुक्ष्म जगत के लिए स्थायी है. स्थूळ जगत की सारी सिध्धियां ये कौनसे तरीके से हांसल होती है ये बात का दुसरे भाग मे चर्चा किया है तो अब ये तिसरे भाग मे सुक्ष्म जगत की सिध्धियां और अनुभव कैसे हांसल होता है ये बात हम करेंगे.

                 जैसे स्थूळ जगत की सिध्धियां हांसल होती हैं वो ही तरीके से सुक्ष्म जगत की सिध्धियां हांसल होती है दोनो जगत मे तरीका एक ही है लेकिन सुक्ष्म जगत के लिए प्रेक्टीश का समय थोडा लंबा है और स्थूळ जगत की सिध्धियां के लिए प्रेक्टीश का समय पिरियड टुंका है ईतना तफावत है. आध्यात्मिक क्षेत्र के लिए परमात्मा तक पहुंचने के लिए परमात्मा का अनुभव करने के लिए योगक्रिया करनी पडती है. योगक्रिया मे तीन चीज को प्रेक्टीश के द्वारा आंतरिक मन की मेमरी मे मेमरी फीट करनी पडती है.
(1):- आसन सिध्धि, (2):-दिर्घ प्राणायाम, (3):- आंतरिक नजर स्थिर करके ध्यान करना ये तीन चीजे जो भी मानव ने आंतरिक मन की मेमरीमे डाल दिया वो मानव आध्यात्मिक क्षेत्र मे स्टेप बाई स्टेप आगे बढने लगेगा ईसिमे कोईभी प्रकार का शक मत रखना सबसे पहले आप तीनो आसन मे से आपके शरीर को जो अनुकूल आसन ये बैठकर बिलकुल कमर से लेकर मस्तक तक टट्टार बैठ जाईये और अपनी आंतरिक नजर त्रिभेटी के स्थान पर स्थिर रखने की प्रेक्टीश किजिये बाद मे दिर्घ श्वसन क्रिया वाला श्वास प्राणायाम किजिये हरदिन पहले दिन पांच मिनिट बैठकर उठ जाईये बादमे हरदिन थोडा-थोडा समय बढाते जाये ऐसे करकर जब आपका आसन अधा घंटे का सिध्धि हो जाएगा तब तक आपका दिर्घ श्वसन क्रिया वाला प्राणायाम 10 सेकन्ड तक का भी सिध्ध हो जायेगा जब 10  सेकन्ड का प्राणायाम सिध्ध होगा तबतक आपकी आंतरिक नजर त्रिभेटी के स्थान पर स्थिर होने लगेगी ये तीनो चीजो की आप आधा घंटे तक प्रेक्टीश करने लगेगा तो ये तीनो चीजो की प्रेक्टीश की मेमरी आपके आंतरिक मनमे फीट हो जायेगी जब कोई भी चीज की मेमरी आंतरिक मन मे फीट हो जाती है तो बादमे आपको कुछभी नहीं. करना पडता बादमे सभी प्रकार की क्रियाए ये शरीर संभाल लेता है. आपोआप क्रिया होने लगती है और आपोआप ये तीनो चीजो मे समय पिरियड ये शरीर हरदिन बढाता ही जाता है. क्रिया आपोआप होने लगती है और समय भी बढता जाता है बादमे तो आपको सिर्फ एकही ध्यान रखना पडता है की समय पर आसन पर बैठना है. आंतरिक मनमे ये तीनो चीजो की मेमरी फीट हो जानेके बाद जब आप आसन पर बैठोगे तो सारी क्रियाए ये शरीर करने लगता है. आपको कुछभी नही करना पडता आपको सिर्फ आसन पर बैठने का ही ध्यान रखना पडता है ये मानव शरीर का विज्ञान ऐसा है कि उनको कोई मानव समज नही पाया है. जो भी मानव समज गया उनकी सारी खटपट मिटजाती है ऐसा ये मानव शरीर का विज्ञान है दिर्घ श्वसन क्रिया मे आपको एक बात का ख्याल रखना हैं की श्वास लेने की क्रिया लंबी करनी है और श्वास छोडने की क्रिया लंबी करनी है. श्वास रोकने की जो क्रिया है वो आपको नही करनी बादमे जब शरीर को जरुरत पडती है तब शरीर ही आपोआप श्वास रोकने की क्रिया कर लेती है वो श्वास रोकने की क्रिया शरीर आपोआप कर लेती है ईसिलिये शरुआत मे आपको (कुंभक) श्वास रोकना नही, लेकिन ये योगक्रिया करने से पहले आपको गेस, कबजियात, की तकलीफ शरीर मे नही होनी चाहिए ये बातको आपको कायम के लिए ध्यान रखना पडेगा अगर आपको गेस, कबजियात की तकलीफ है तो आयुर्वेदिक कोईभी कबजियात का चूरण हरदिन लेते रहो तो आपको गेस कबजियात की तकलीफ दूर हो जायेगी जो भी मानव ये प्रेक्टीश की मेरे अनुभव के शब्दों ये विश्वास रखकर आगे बढेगा उनको कोईभी प्रकार का पुस्तकों पढने की जरुरत नहीं रहेगी और किसिकी सलाह की भी जरुरत नही रहेगी जैसे जैसे कोई भी मानव आगे बढता जायेगा ऐसे ऐसे उनको अनुभव होता जायेगा और स्टेप बाई स्टेप उनका सारा संचय मीटता जायेगा और वो मानव आपने आत्मा के कल्याण करने के मार्गमे सफलता का शिखर हांसल कर पायेगा कोईभी मानव जब दो घंटे का आसन सिध्ध कर लेता है तो वो मानव दो धंटे के बाद उनको समाधि का अनुभव होने लगेगा दो घंटे के पहले किसिको समाधि का अनुभव नहीं होता. (क्रमशः)

      ----गगनगीरीजी महाराज

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