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Showing posts from December, 2018

04-12-18. Group discussion

अहंकार में अहंकार का प्रवेश करवाकर अहंकार को प्राप्त कर उसे पोषित करो। इतना कि अहंकार में घुल जाओ। जहाँ तुम्हारी प्रतीक्षा स्वयं ब्रह्म करता है । अहंकार क्या 1 तुम्हारा भौतिक शरीर। 2 तुम्हारा आंतरिक आकार। 3 तुम्हारा घमंड। 4 तुम्हारा वास्तविक आकार यणि आत्मा। सोने के पहले माँ का सम्पुट पढ़ ले। दुर्गा देवी नमातुभ्य सर्वाकामार्थ साधिके। मम सिद्धिम सिद्धिम व स्वप्ने सर्व प्रदर्शय:।। यदि विष्णु मन्त्र एक हफ्ते में असर न दिखाई तो बजरंग बाण संकल्प के साथ सुबद शाम 21 दिन पढ़े  या जब तक फायदा न हो पढ़ते रहे। संख्या अधिक होने में परहेज नही। H ‌ ॐ ऐं श्री अक्ष मालाय नमः Aum ‌Aing Saraswathye Namah ‌ Aum ‌ ‌ माले   माले   महामाले   सर्वतत्त्वस्वरुपिणी  | चतुर्वर्गस्त्वयि   न्यस्तस्तस्मान्मे   सिद्धिदा   भव  || ॐ   त्वं   माले   सर्वदेवानां   सर्वसिद्धिप्रदा   मता  | तेन   सत्येन   मे   सिद्धिं   देहि   मातर्नमोऽस्तु   ते  | त्वं   मले   सर्वदेवानां   प्रीतिदा   शुभदा   भव  | शिवं   कुरुष्व   मे   भद्रे   यशो   वीर्यं   च   सर्वदा https://freedhyan.blogspot.com/2018/04/bl

Practice part 3

भाग-3          मानव तन विज्ञान                 (  प्रेक्टीश )                    --गगनगीरीजी महाराज         जैसे हमने दुसरे भाग मे स्थूळ जगत की सिध्धिओ के बारे मे बात किया ये है प्रेक्टीश की थियरी सुक्ष्म जगत के लिए स्थायी है. स्थूळ जगत की सारी सिध्धियां ये कौनसे तरीके से हांसल होती है ये बात का दुसरे भाग मे चर्चा किया है तो अब ये तिसरे भाग मे सुक्ष्म जगत की सिध्धियां और अनुभव कैसे हांसल होता है ये बात हम करेंगे.                  जैसे स्थूळ जगत की सिध्धियां हांसल होती हैं वो ही तरीके से सुक्ष्म जगत की सिध्धियां हांसल होती है दोनो जगत मे तरीका एक ही है लेकिन सुक्ष्म जगत के लिए प्रेक्टीश का समय थोडा लंबा है और स्थूळ जगत की सिध्धियां के लिए प्रेक्टीश का समय पिरियड टुंका है ईतना तफावत है. आध्यात्मिक क्षेत्र के लिए परमात्मा तक पहुंचने के लिए परमात्मा का अनुभव करने के लिए योगक्रिया करनी पडती है. योगक्रिया मे तीन चीज को प्रेक्टीश के द्वारा आंतरिक मन की मेमरी मे मेमरी फीट करनी पडती है. (1):- आसन सिध्धि, (2):-दिर्घ प्राणायाम, (3):- आंतरिक नजर स्थिर करके ध्यान करना ये तीन चीजे जो भी मा